इलेक्ट्रिक कारों के मालिकों का बड़ा टेंशन, जानिए क्यों

Ranjana Pandey
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बड़े शहरों में किए गए ताजा सर्वे रिपोर्ट में यह पता चला मालिक है कि, 50% इलेक्ट्रिक कार वापस पेट्रोल-डीजल वाहनों में स्विच करना चाहते है। Tata Motors के इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में भी बड़ी गिरावट देखी गई है।

कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों का दौर तेजी से बढ़ रहा है। जब भी कोई नई कार लेने को सोच रहे हैं। या बातचीत ही कर रहे है तो उनमें EV का जिक्र न हो ये आम बात है। इसका असर कारों की बिक्री पर भी देखने मिला । टाटा मोटर्स जो की एक प्रमुख वाहन निर्मात कंपनी है, वो भी अपने सबसे बड़े इलेक्ट्रिक व्हीकल पोर्टफोलि के साथ EV सेग्मेंट की लीडर जरूर बनी है। लेकिन जाने वाले दिनों में टाटा को भी बड़ा झटका लगा है

एक सर्वे ने भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों की मंशा को जाहिर कर भारत में EV के भविष्य पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। Park+ द्वारा किए गए सर्वो के अनुसार, कुल 519% EV कार मालिक पेट्रोल था डीजल वाहनों का उपयोग करना चाहती है। Parkt आवासीय और कॉमर्शियल परिसरों में पार्किंग सॉल्यूशन का काम करते है। इसने कि कई बड़े शहरों में लगभग 500 EV कार मालिकों का सर्वे किया है।

सर्वे में यह बात चला है कि, इलोक्ट्रक वाहन मालिक औसतन पारंपरिक ICE वाहन मालिकों की तुलना में कम संतुष्ट है। इलेक्ट्रिक कारों से जुड़ी रोजमर्रा की तकलीफों की वाहन मालिकों ने जिम्मेदार ठहराया है। इसमें चार्जिंग इंक्रा, मेंटनेंस, रेंज संजायटी, रीसेल वैल्यू और उंची कीमत जैसे कई पहलूओं की उजागर किया गया है।

१८४ वाहन को चार्ज करने की सुविधा को लेकर 88% लोग चिंता में रहते हैं। यह समस्या तो रेज एंजायती से भी आगे निकल चुकी है। जो बहुत ही चिंता का विषय चन गई १। पूरी देश में 20,000 से अधिक १२ चार्जिंग स्टेशन मौजूद होने के बावजूद, निराशा हो रही है। में लोगों का कहना है कि सेक और एक्टिव चार्जिंग स्टेशन ढूंढना मुश्किल बहो गया है।

EV कार कंपनियां पहले से दावा करती रहीं हैं कि इलेक्ट्रिक कारों में पेट्रोल-डीजल वाहन की तुलना में कम कंपोनेंट्‌स होते हैं। इससे मेंटनेंस आसान होता है। पार्वे में कार मालि ने मेंटनेंस को एक बड़ी परेशानी बताया है। जिसकी वजह से EV “एक ब्लैक बॉक्स ” की तरह लगता है। जो लोकल मैकेनिक समस्याओं को हल करने में असमर्थ है। वइसलिए मालिकों ने रिपंगरिंग शॉप के रि कमी के लिए भी निराशा व्यक्त की है।

इस सर्वे के दौरान यह भी एक बड़ी समस्या सामने आई है की धमकी रीसेल वैल्यू भी कम है। कम से कम ९३१% लोगों ने एमकी रीसेन वैल्यू चेक किया तो उन्हें उम्मीद से काफी कम जमाउत आपर किया गंगा। लेकिन ऐसा सुनने में आया है कि, EV के बेहतर होने के साथ ही रीसेल वैल्यू में भी इजाफा हो सकता है।

पेट्रोल और डीजल वालें वाहनो की रीसेल वैल्यू उसके मेक-मॉडल, माइलेज था चलने की अवधि के आधार पर कैल्कुलेट किया जा सकता है; पर हुए का ऐसा नहीं है, क्योंकि अभी EV से सब लोग परिचित नहीं है।

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