नई कार खरीदने वाले लोग शुरू में एक दो साल तक बहुत ध्यान रखते हैं और शुरू शुरू में गाड़ी की सर्विस कंपनी के ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर से करवाते हैं लेकिन फ्री सर्विस खत्म होने के बाद लोग गाड़ी को लोकल मैकेनिक से सर्विस कराते हैं क्योंकि कंपनी से सर्विस करवाना काफी महंगा हो जाता है, लेकिन कार को कंपनी के सर्विस सेंटर पर सर्विस करवाना ज्यादा अच्छा माना जाता है, क्योंकि वहां पर सभी पार्ट्स और इंजन ऑयल ओरिजनल मिलता है लेकिन लोग इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं साथ ही अगर आप भी अपनी गाड़ी बाजार में लोकल मैकेनिक से सर्विस कराते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए, नहीं तो हो सकती आपकी जेब खाली।
फुल सिंथेटिक ऑयल डलवाते हैं:
ये बात एक तरह से सही है की फुल सिंथेटिक ऑयल से इंजन की लाइफ बढ़ती है लेकिन इसकी डलवाना चाहिए या नहीं ये कार की रनिंग पर निर्भर करता है, लेकिन अक्सर मैकेनिक पैसे कमाने के चक्कर में महंगा ऑयल डलवाने के लिए कह देते हैं क्योंकि सिंथेटिक ऑयल की कीमत नॉर्मल ऑयल से तीन गुना अधिक होती है, लेकिन सबको इस ऑयल को डलवाने की जरूरत नहीं लेकिन आपको रनिंग ज्यादा है या फिर आपकी गाड़ी ट्रैवल्स में लगी है तो आप फुल सिंथेटिक ऑयल डलवा सकते हो।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक सेमी सिंथेटिक और फुल सिंथेटिक ऑयल का सीधा असर गाड़ी के इंजन स्मूथनेस, रनिंग और वियर एंड टियर पर पड़ता है, जिनकी हाई रनिंग होती है उन लोगों को अपनी गाड़ी में फुल सिंथेटिक ऑयल ही डलवाना चाहिए, डीजल इंजन में इससे वियर एंड टियर कम होता है।
फुल सिंथेटिक में इंजन का परफॉर्मेंस अच्छा मिलेगा, ठंड के मौसम में भी सिंथेटिक ऑयल इंजन में जल्दी फैल जाता है, जमता नहीं हैं ऐसे में अगर आप किसी बर्फीले इलाके में जा रहा है तो आप सिंथेटिक ऑयल का ही इस्तेमाल करें और नॉर्मल रनिंग है तो कम से कम सेमी सिंथेटिक ऑयल डलवाएं।
ऑयल काला हो गया है बदलना पड़ेगा:
अक्सर ये कहकर ऑयल चेंज करवा दिया जाता है की ऑयल काला हो गया है लेकिन ये गलत होता है, एक्सपर्ट्स में बताया कि कितना भी अच्छा ऑयल हो इंजन में जाने के बाद काला हो ही जाता है और डीजल गाड़ियों की बात करें तो क्या ऑयल भी जल्दी काला हो जाता है, अगर आपको अनुभव है तो घर पर ही आप ऑयल डिप से ऑयल कि विस्कॉसिटी, क्वालिटी, टैक्सचर देख कर उसकी क्वालिटी का अंदाजा लगा सकते हैं साथ ही अगर आपको अनुभव नहीं है तो सबसे सरल तरीका ये है कि सर्विस रिकॉर्ड के हिसाब से ऑयल बदलवाएं, एक साल खत्म होने पर या 10 हजार किमी. या उससे ज्यादा चला लेने पर सर्विस जरूर कराएं जिसमें ऑयल चेंज हो क्योंकि सेमी सिंथेटिक ऑयल की नॉर्मल लाइफ इससे भी कम होती है फुल सिंथेटिक ऑयल की लाइफ 15 हजार किमी. तक की होती है लेकिन उसमें भी ये सलाह दी जाती है कि 10 हजार किमी. तक एक बार टॉप अप के लिए चेक करा लें क्योंकि हीट होने पर ऑयल थोड़ा वाष्प बनकर उड़ जाता है।
बैटरी खराब हो गई है कहकर, चेंज करने के लिए कहेंगे:
बैटरी खराब हो है नई लगवाई कहकर कई मैकेनिक जबरदस्ती का बिल बढ़ा देते हैं साथ ही एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर बैटरी लेवल मेंटेन रहेगा और गाड़ी प्रोपर चलती रहेगी तो बैटरी में समस्या नहीं आएगी और लंबे समय तक सर्विस दी जायेगी इसलिए साल में बस दो बार बैटरी टॉप अप करा लें साथ ही अगर बैटरी डिस्चार्ज भी ही रही है तो एक दो बार चार्ज करवा लें, जिसका खर्च बहुत मामूली होता है अल्टीनेटर चेक करा लें क्योंकि अल्टीनेटर खराब होने की वजह से भी बैटरी ड्रोन हो सकती है, इतने सब के बाद भी समस्या बनी हुई है तो नई बैटरी लगवाने का डिसीजन लिया जा सकता है।
कूलिंग नहीं हो रही है कहकर, एसी फिल्टर चेंज करने के लिए कहेंगे:
बहुत से लोगों को पता नहीं होता है कि एसी फिल्टर कब चेंज कराना चाहिए और इसी बात का फायदा मैकेनिक उठाते हैं और फिर फिजूल में एसी फिल्टर चेंज करवा लेते हैं एक्सपर्ट्स ने बताया कि एसी फिल्टर हर 20 हजार किमी. पर बदला जाता है, इसलिए अच्छा होगा कि गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले एक बार एसी चेक करा लें क्योंकि गर्मियों में ज्यादातर लोगों को शिकायत रहती है कि एसी कूलिंग नहीं कर रही है लेकिन होता ऐसा है कि फ्रेश एयर एसी फिल्टर में जाम होने की वजह से अच्छी तरह से फ्लो नहीं होती, इसलिए गर्मी आने से पहले एक बार फिल्टर जरूर चेक कराएं।
व्हील अलाइनमेंट बैलेंसिंग कराना पड़ेगा:
बिल बढ़ाने के लिए आपसे फिजूल में व्हील बैलेंसिंग और अलाइनमेंट कराने के लिए कहेंगे लेकिन आप टायरों की कंडीशन से इसका पता लगा सकते हैं कि क्या सच में इसकी जरूरत है और अगर आगे के टायर अनियमित तरह से घिस रहे हैं जैसे कि अंदर की साइड ग्रिप हैं लेकिन बाहर से घिस रहे हों या बाहर ग्रिप अच्छी है लेकिन अंदर की तरफ से घिस रहे हों तो व्हील अलाइनमेंट की बिलकुल जरुरत है।
लेकिन हाई स्पीड पर यदि स्टीयरिंग व्हील में जर्क आ रहा है या वाइब्रेशन आ रहा है तो बैलेंसिंग की जरूरत है, अगर इनमें से कोई परेशानी नहीं दिख रही है तो बेवजह पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है लेकिन प्रोपर शेड्यूलिंग की बात की जाए तो हर 5 हजार किमी. पर बैलेंसिंग और अलाइनमेंट कर लेना चाहिए और 10 हजार किमी. पर व्हील रोटेशन करना चाहिए।
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