Toyota Innova Flex Fuel: पेट्रोल-डीजल के दिन गए! अब मक्के-गन्ने से चलेगी कार; टाटा ने काम शुरू कर दिया है

Smina Sumra
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Toyota Innova Flex Fuel

Toyota Innova Flex Fuel: गडकरी ने कहा कि जापानी ऑटो निर्माता टोयोटा ने महाराष्ट्र में फ्लेक्स इंजन कारों के निर्माण के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है।

कार और बाइक चलाने वाले लोगों को जल्द ही महंगे पेट्रोल और डीजल से छुटकारा मिल सकता है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा करते हुए कहा कि इंडियन कंपनिज 100 प्रतिशत इथेनॉल पर चलने वाली कारों और बाइक (Toyota Innova Flex Fuel) का निर्माण शुरू कर चुकी हैं। कुछ ही समय में इस तरह की कारें और बाइक आम जनता के लिए उपलब्ध होंगी, जिनमें पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल शून्य होगा। गडकरी ने यहां तक कहा है कि टाटा और सुजुकी ने ऐसी गाड़ी बनानी भी शुरू कर दी है।

गडकरी ने मंगलवार को कहा कि टोयोटा ने इस प्रकार के फ्लेक्स इंजन वाली कार बनाई है, जिसमें 100 प्रतिशत इथेनॉल का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार के वाहन से प्रदूषण नहीं फैलता है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों ने इस प्रकार के इंजन वाले वाहन बनाने के लिए संयंत्र स्थापित करना शुरू कर दिया है। इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला इथेनॉल गन्ने के रस, गुड़ और मक्के से तैयार किया जाता है।

हर जगह मिल जाएंगे इथेनॉल पंप 

Toyota Innova Flex Fuel
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गडकरी ने कहा कि अभी सिर्फ पेट्रोल-डीजल के आयात पर हर साल 16 लाख करोड़ रुपए खर्च होते हैं। एक बार जब फ्लेक्स इंजन कार का निर्माण शुरू हो जाएगा तो इसका सीधा फायदा किसानों को होगा। जैसे अब पेट्रोल पंप लग रहे हैं, वैसे ही इथेनॉल पंप भी लगेंगे। यह नया ईंधन रुपये बचाने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने का भी काम करेगा।

बदल जाएगी कृषि अर्थव्यवस्था

नितिन गडकरी ने कहा कि अगर इथेनॉल का उत्पादन और उपयोग बढ़ेगा तो देश की कृषि अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह बदल जाएगी. गन्ना किसानों को नकद लाभ मिलने लगेगा। साथ ही मक्के की खेती करने वाले किसानों को भी फायदा होगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, फ्लेक्स इंजन को अप्रैल, 2022 में पेश किया गया था, लेकिन भारत अब इस प्रकार के इंजन का उत्पादन करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

जानिए टोयोटा इनोवा इथेनॉल में क्या है खास

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आपको बता दें कि इस नई कार में 60 प्रतिशत विद्युतीकृत ऊर्जा और 40 प्रतिशत बायो इथेनॉल का उपयोग किया जा सकता है। इससे फ्लेक्स फ्यूल के कारण कार के माइलेज में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सकती है। जो अपने आप में दुनिया की पहली कार है। जिसमें पुराना स्टार्ट सिस्टम लगाया गया है, जिससे इस कार का इंजन माइनस 15 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में भी आसानी से काम कर सकेगा।

आपको बता दें कि इथेनॉल अधिक पानी सोखता है, जिससे इंजन के घटकों में जंग लगने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, इस कार में इस्तेमाल किया गया इंजन पूरी तरह से मेड-इन-इंडिया है, इसमें इस्तेमाल किए गए कंपोनेंट्स पूरी तरह से वॉटर रेसिस्टेंट हैं, इसलिए जंग लगने का खतरा बिल्कुल नहीं है। फिलहाल इस कार का प्रोटोटाइप तैयार किया जा चुका है, जल्द ही इसके प्रोडक्शन मॉडल की भी घोषणा की जाएगी।

जानें फ्लेक्स फ्यूल क्या है

फ्लेक्स फ्यूल एक खास तरह की तकनीक है, जिससे गाड़ियों में 20 फीसदी से ज्यादा इथेनॉल का इस्तेमाल किया जा सकता है। फ्लेक्स फ्यूल गैसोलीन (पेट्रोल) और मेथनॉल या इथेनॉल के मिश्रण से तैयार किया गया वैकल्पिक ईंधन है। इसे पेट्रोल और डीजल की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। दूसरी ओर, फ्लेक्स-फ्यूल वाहन इंजन एक से अधिक प्रकार के ईंधन पर चलने में सक्षम हैं। गौरतलब है कि यह पहली तकनीक नहीं है, इसका इस्तेमाल पहली बार 1990 के दशक में किया गया था।

फ्लेक्स ईंधन कैसे बनता है?

गन्ना, मक्का जैसे उत्पादों से तैयार किए  जाने के कारण फ्लेक्स फ्यूल का उत्पादन भारत में आसानी से हो सकता है। भारत में इन दोनों फसलों का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में होता है। इसे अल्कोहल आधारित ईंधन भी कहा जाता है क्योंकि यह गन्ने और मक्के से बनता है। इस ईंधन को बनाने के लिए स्टार्च और चीनी को किण्वित किया जाता है। जो पेट्रोल से काफी सस्ता है। अगर पेट्रोल की कीमत 100 रुपये है तो इथेनॉल की कीमत 60 से 70 रुपये के बीच ही होगी।

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