देश के अंदर बिक रही गाड़ियों की सेफ्टी रेटिंग देने वाली भारतीय एजेंसी BNCAP ने गाड़ियों की सेफ्टी के लिए सेफ्टी रेटिंग स्टिकर लॉन्च कर दिया है और इस स्टिकर की मदद से ग्राहक उस गाड़ी से संबंधित सभी सेफ्टी की जानकारी जान पाएंगे साथ ही कार को क्रैश टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद इस स्टिकर को उसके बेचे जाने वाले मॉडल पर लगाया जाएगा और इस स्टिकर पर एक QR कोड दिया जायेगा जिसको स्कैन करके ग्राहक गाड़ी की सेफ्टी रेटिंग और उसके फीचर्स के बारे में सभी जानकारी जान पाएंगे।
अक्टूबर के बाद बनने वाले सभी वाहनों के प्रमुख पार्ट्स में QR कोड जरूरी हो जायेगा और इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय सितंबर में सभी वाहन निर्माताओं को निर्देश जारी करेगा। इससे वाहन निर्माताओं को अक्टूबर से बनने वाले हर नए वाहन के सभी पार्ट्स पर एक QR कोड देना होगा ये कोड सामान्य तौर पर नहीं दिखाई देगा, इसको अल्ट्रावालेट किरणों की मदद से देखा और जांचा जायेगा। इससे वाहन की पहचान मालिक के साथ हो सकेगी ऐसे में अगर वाहन के पार्ट्स को चोरी करके दूसरे वाहन में लगाया गया तो चोरी पकड़ ली जायेगी। इससे वाहनों के पार्ट्स की चोरी रुक जायेगी साथ ही देश में हर साल 2.5 लाख से अधिक वाहन चोरी होते हैं इनमें से करीब आधे वाहनों के पार्ट्स निकालकर दूसरे वाहनों में लगा दिए जाते हैं।
Bharat NCAP QR code क्या है:
NCAP उन ऑटोमोबाइल निर्माताओं को QR code स्टिकर प्रदान करेगी जिनके वाहनों का सुरक्षा कार्यक्रम के तहत क्रैश परीक्षण किया जायेगा और इन स्टिकर के निर्माता का नाम, वाहन, मॉडल का नाम, परीक्षण की डेट और व्यस्कों और बच्चों दोनों के लिए सुरक्षा स्टार रेटिंग शामिल की जायेगी।
स्टिकर को स्कैन करने से वाहन का विस्तृत विवरण ग्राहकों के सामने आ जाएगा, आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि मौजूदा समय में क्रैश टेस्ट पूरा करने वाले वाहनों में टाटा मोटर्स के टाटा सफारी, हैरियर, नेक्सन ईवी और पंच ईवी मॉडल शामिल हैं।
NCAP क्रैश टेस्ट क्या है और ये कैसे काम करेगा:
भारत में कार बेचने वाली सभी कंपनियों के लगभग सभी मॉडल का NCAP द्वारा क्रैश टेस्ट किया जाता है और टेस्ट के दौरान गाड़ी को तय स्पीड पर किसी ऑब्जेक्ट के साथ टकराया जाता है और इस टेस्ट के लिए कार में डमी का इस्तेमाल किया जाता है और वो डमी इंसान के जैसा ही होता है साथ ही टेस्ट के समय 4 से 5 डमी का इस्तेमाल किया जाता है। बैक सीट पर बच्चे का डमी रखा जाता है और क्रैश टेस्ट के बाद कार के एयरबैग ने सही से काम किया या नहीं, डमी कितनी डैमेज हुई, कार के सेफ्टी फीचर्स ने कितना काम किया इन सभी के आधार पर रेटिंग दी जाती है और देखा जाता है कि कार में एडल्ट और बच्चे कितने सुरक्षित हैं।
Bharat NCAP करेगा ऐसे काम:
किसी भी कार को इस टेस्ट का हिस्सा बनने के लिए मैन्युफैक्चर को व्हीकल मॉडल नॉमिनेट कराना होगा, Bharat NCAP टीम उस व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी का दौरा करेगी और उस मॉडल बेस वेरिएंट को सिलेक्ट करेगी। उस सिलेक्ट किए गए व्हीकल को Bharat NCAP टेस्टिंग सेंटर में भेजा जाएगा साथ ही सिलेक्टेड वेरिएंट का क्रैश टेस्ट ही प्रोसेस को कार मेनिफैक्चर और Bharat NCAP टीम के प्रतिनिधि के सामने किए जायेगा।
टेस्ट के रिजल्ट को कंपायलड किया जाएगा, Bharat NCAP स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी के बाद कार कंपनी के सभी डिटेल को शेयर किया जाएगा और स्थाई कमेटी को मंजूरी के बाद उस गाड़ी की स्टार रेटिंग और क्रैश टेस्ट रिजल्ट Bharat NCAP द्वारा पब्लिश किया जाएगा और इसका सर्टिफिकेट केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान द्वारा जारी किया जाएगा।
ऐसे पड़ेगा QR code:
वाहनों के महंगे पार्ट्स पर मेनिफैक्टर्स क्यूआर कोड प्रिंट करेंगे, इस कोड में इंजन और चेसिस का नंबर भी दर्ज किया जायेगा और वाहन की बिक्री के बाद रजिस्टर्ड करते समय वाहन के साथ साथ चेसिस और इंजन का नंबर भी दर्ज किया जाता है।
ऐसे करे जायेंगे वाहन के पार्ट्स ट्रैक:
परिवहन और पुलिस अधिकारी को अगर किसी वाहन के पार्ट्स पर चोरी का शक होता है तो अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से QR code स्कैन कर वाहन के पार्ट्स की जांच करेंगे। स्कैन के साथ गाड़ी की चेसिस और इंजन नंबर भी आ जायेगा और ये नंबर परिवहन विभाग के वाहन सॉफ्टवेयर में दर्ज कर वाहन पार्ट्स के चोरी का पता लगाया का सकेगा।
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