वाहनों के वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र नहीं हैं तो अब यह लापरवाही भारी पड़ने वाली है,तरह परिवहन विभाग ने वाहनों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड कैमरों से नजर रखने के साथ ई चालान भेजने की कार्यवाही तेज कर दी है साथ ही दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में 100 पेट्रोल पंपों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, इन कैमरों में बेहतर संचालन के लिए परिवहन विभाग एक एकीकृत एप्लीकेशन शुरू करने जा रहा है, इसके जरिए पेट्रोल पंपों पर लगे सीसीटीवी कैमरे एप्लीकेशन से जुड़ जाएंगे, परिवहन विभाग ने इसके लिए 6 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया है और यह पांच वर्षों के लिए होगा।
पेट्रोल पंप पर पहुंचते ही वाहन का नंबर प्लेट सीसीटीवी कैमरों के जरिए स्कैन होगा, 30 सेकंड में पता चल जाएगा कि वाहन के पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र है या नहीं, यदि नहीं है तो पेट्रोल पंप पर लगी स्क्रीन में बता दिया जायेगा, अगर तीन घंटे के अंदर प्रदूषण जांच नहीं करवाया तो 10 हजार रुपए का चालान काट दिया जायेगा, वर्तमान में दिल्ली के 25 पेट्रोल पंपों पर सीसीटीवी कैमरे से चालान किया जा रहा है, अब परिवहन विभाग इसे बढ़ाकर 100 पेट्रोल पंपों पर यह व्यवस्था लागू करेगा, अधिकारियों का कहना है कि आने वाले कुछ समय में दिल्ली के सभी पेट्रोल पंपों पर व्यवस्था लागू की जाएगी।
नए जांच केंद्रों में देरी:
दून में प्रदूषण जांच केंद्रों की सीमित संख्या से मारामारी हो रही है, लेकिन परिवहन विभाग नए केंद्र खोलने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है, मुख्यालय में लोगों को ठीक से जानकारी तक नहीं दी जा रही है।
वाहनों की प्रदूषण जांच में लगेंगे 140 दिन:
वाहनों की प्रदूषण जांच कराने के लिए लोगों ने दिन रात एक कर दिया है, जांच केंद्रों पर रात तीन बजे से लाइनें लग रही हैं, शहर में सिर्फ 19 जांच केंद्र हैं, अभी सात लाख वाहन हैं, जिनकी जांच होनी है, जिस हिसाब से रोजाना जांच हो रही है, उससे सात लाख वाहनों की जांच करने में 140 दिन लग जाएंगे, नए मोटर व्हीकल एक्ट में वाहन का प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र नहीं होने पर जुर्माना बढ़ाया गया है, एक सितंबर से जांच केंद्रों पर भी भीड़ जुट रही है।
रात में लग रही लाइन:
रात तीन बजे से ही दोपहिया वाहनों की लाइनें लग रही हैं, भीड़ के चलते कुछ जांच केंद्रों ने कूपन व्यवस्था लागू कर रखी है, एक दिन में 200 से 250 लोगों को कूपन दिया जा रहे हैं, देहरादून आरटीओ में दस लाख वाहन पंजीकृत हैं, इसमें दो लाख 50 हजार वाहनों की नियमित प्रदूषण जांच होती रहती है, एक सितंबर से अब तक 50 हजार वाहनों की प्रदूषण जांच हो चुकी है, अब करीब सात लाख वाहन हैं, जिनकी प्रदूषण जांच होनी है, एक केंद्र पर एक दिन में करीब 250 वाहनों की जांच हो पा रही है यदि प्रदूषण केंद्र नहीं बढ़ते हैं और जांच इसी रफ्तार से हुई तो सभी वाहनों की प्रदूषण जांच करने में 140 दिन लग जाएंगे।
जागरूक हो रहे वाहन मालिक:
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस नई व्यवस्था से वाहन मालिक जागरूक भी हो रहे हैं, बीते माह पीयूसी नहीं होने का संदेश जब वाहन मालिकों को गया तो करीब 15 हजार 740 वाहन मालिकों ने दो घंटे के भीतर पीयूसी प्रमाणपत्र बनवा लिया है, जिन्होंने नहीं बनवाया उन्हें 10-10 हज़ार रुपए का ई चालान भेजा गया।
एक माह में 88,347 वाहनों की हुई जांच:
इस व्यवस्था के तहत बीते एक माह में पेट्रोल पंपों पर आने वाले 88,347 वाहनों के पीयूसी प्रमाणपत्र की जांच की गई, जिसमें सामने आया कि 20,942 वाहनों के पास वैध पीयूसी नहीं थी यानी 23.70 प्रतिशत वाहन वैध पीयूसी के बिना पाए गए, विभाग ने हर जिले के 2 से 3 पेट्रोल पंपों पर पीयूसी प्रमाणपत्र जांच करने के लिए विशेष कैमरे लगाए हैं, वैध पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं होने पर एक महीने में 5202 वाहन मालिकों के मोबाइल पर 10-10 हजार रूपये का ई चालान भेजा गया।
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