नॉर्वे में पेट्रोल और डीजल से ज्यादा बिकती हैं इलेक्ट्रिक गाड़ियां, जानें क्यूं:

Durga Pratap
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देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की डिमांड बढ़ाने को लेकर ध्यान दिया जा रहा है, दुनियाभर में पहले से पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों की संख्या काफी है, ऐसे में इलेक्ट्रिक कारों की चाबी लोगों के हाथों तक पहुंचना एक बड़ा काम है, लेकिन यूरोप के एक देश नॉर्वे ने इस काम को साकार कर दिया, नॉर्वे दुनिया का ऐसे पहला देश बन गया जहां इस बार पेट्रोल से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री हुई है।

दुनिया का पहला ऐसा देश बना नॉर्वे:
दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पेट्रोल कारों से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई हो, नॉर्वे ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है, नॉर्वे रोड फेडरेशन ने मंगलवार को सूचना जारी कर बताया कि देश में प्राइवेट कारों में 2.8 मिलियन रजिस्ट्रेशन हुए हैं जिसमें से 7,54,303 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए और 7,53,905 पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के लिए किए गए हैं साथ ही इस रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या पेट्रोल वेरिएंट की तुलना में ज्यादा है, वहीं इन दोनों वेरिएंट से ही ज्यादा रजिस्ट्रेशन डीजल वाहनों के लिए हुए हैं।

डीजल की कारों से आगे बढ़ने की तैयारी:
OFV के डायरेक्टर ने डीजल से चलने वाली कारों से तुलना करते हुए कहा कि साल 2026 तक देश में डीजल कारों से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियां होंगी, थॉरसन ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि दुनिया में इस तरह की स्थिति में आज दुनिया का कोई देश नहीं है।
इसके साथ ही नॉर्वे तेल और गैस का एक बड़ा प्रोड्यूसर है, ये देश अपने लिए साल 2025 तक का एक टारगेट सेट कर चुका है, नॉर्वे का लक्ष्य है कि साल 2025 तक जीरो एमिशन व्हीकल्स की ही देश में बिक्री करनी है, जो कि यूरोपीय यूनियन के तय किए गए लक्ष्य से 10 साल आगे है।

इलेक्ट्रिक कारों पर शिफ्ट होगा पूरा नॉर्वे:
AFP से बातचीत में OFV के डायरेक्टर Oyvind Solberg Thorsen ने कहा कि नॉर्वे के लिए ऐसा करना ऐतिहासिक है, हम आने वाले 10 सालों में नया माइलस्टोन हासिल करेंगे, पैसेंजर कारों के इलेक्ट्रिफिकेशन के रास्ते पर हम तेजी से चल रहे हैं, थोरसन ने आगे कहा कि नॉर्वे काफी तेजी से दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसने पैसेंजर व्हीकल्स में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या को बढ़ाया है।

यूरोप से एकदम अलग है कहानी:
OFV ने बताया नॉर्वे ने 20 वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है, सितंबर 2004 में देश के कार बाजार में 1.6 मिलियन पेट्रोल कारें और लगभग 2,30,000 डीजल कारें और सिर्फ 1000 इलेक्ट्रिक वाहन थे।
ईवी में बदलाव ने नॉर्वे के जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के प्रयासों में एक बड़ी भूमिका निभाई है, जिसमें 1990 के स्तर से 2030 तक ग्रीनहाउस गैसों में 55 प्रतिशत की कमी शामिल है।

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